साक्षर भारत योजनान्तर्गत कार्यरत रहे शिक्षा प्रेरकों के कार्यों का होगा सत्यापन, शासन ने बीएसए से सत्यापन की मांगी रिपोर्ट

साक्षर भारत योजनान्तर्गत कार्यरत रहे शिक्षा प्रेरकों के कार्यों का होगा सत्यापन, शासन ने बीएसए से सत्यापन की मांगी रिपोर्ट

लंबे समय से मानदेय का इंतजार कर रहे शिक्षा प्रेरकों की उम्मीदें बढ़ने लगी हैं। मामले में कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद साक्षरता, वैकल्पिक शिक्षा, उर्दू एवं प्राच्य भाषा निदेशक ने सभी जिलों के डीआईओएस और डायट प्राचार्यों से शिक्षा प्रेरकों द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी मांगी है.

ग्राम पंचायत स्तर पर साक्षर भारत योजना के तहत बनाए गए लोक शिक्षा केंद्रों पर कार्यरत शिक्षा प्रेरकों ने विभिन्न प्रकार के कार्य किए, लेकिन लंबे समय से उनका मानदेय नहीं दिया गया है। इसे लेकर शिक्षा प्रेरकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

साक्षर भारत मिशन के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक लोक शिक्षा केन्द्र स्थापित किया गया। प्रत्येक केन्द्र पर दो-दो प्रेरक नियुक्त किये गये। यह प्रेरक 15 वर्ष से अधिक उम्र के निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने में भूमिका निभा रहे थे. उन्हें मात्र दो हजार रुपये मानदेय मिलता था। लेकिन सरकार ने करीब पांच साल पहले इस योजना को बंद कर दिया था.

योजना बंद होने के समय प्रेरकों का करीब दो वर्ष का मानदेय बकाया रह गया था. उन्होंने कई बार प्रदर्शन किया है. अब तक मानदेय नहीं मिला है. अब वे कोर्ट गए हैं. अब शासन ने बीएसए से सत्यापन रिपोर्ट मांगी है।

देखें आदेश👇👇



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