टेबलेट से उपस्थिति लेने को लेकर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक से की मुलाकात, लेकिन उपस्थिति पर नही बन सकी सहमति।

टेबलेट से उपस्थिति लेने को लेकर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक से की मुलाकात, लेकिन उपस्थिति पर नही बन सकी सहमति।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधिमंडल यशस्वी प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह के नेतृत्व में टेबलेट के माध्यम से उपस्थिति लागू करने के संबंध में *महानिदेशक स्कूल शिक्षा* से मिला।

प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह जी ने महानिदेशक से टेबलेट पर उपस्थिति के लिए जारी आदेश को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि अधिकांश परिषदीय विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं। हजारों स्कूलों तक पहुंचने के लिए उचित सड़कें नहीं हैं। बरसात के मौसम में राज्य के दर्जनों जिले बाढ़ से प्रभावित होते हैं और शिक्षकों को नाव से स्कूल जाना पड़ता है. ऐसे में टैबलेट के माध्यम से उपस्थिति की व्यवस्था व्यावहारिक नहीं है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

प्रदेश महासचिव भगवती जी ने कहा कि जून में संगठन द्वारा दिये गये 22 सूत्री मांग पत्र में से अधिकांश पर विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. प्रमोशन की प्रक्रिया पिछले 9 महीने से चल रही है और अभी तक पूरी नहीं हुई है लेकिन किसी भी अधिकारी की जिम्मेदारी तय करने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. कोई कार्रवाई नहीं की गई. जब महानिदेशक ने कहा कि विभिन्न संगठनों द्वारा समय-समय पर संसाधनों (टैबलेट) की मांग की गई है, उसी के अनुरूप इसे उपलब्ध करा दिया गया है. इस पर महासचिव ने कहा कि टैबलेट की मांग विभागीय काम के लिए है. यह परीक्षा कराने के लिए किया गया था, अटेंडेंस के लिए नहीं, अब जब टैबलेट मिल गया है तो शिक्षक इससे सारे विभागीय काम निपटाएंगे। लेकिन उपस्थिति आदेश स्वीकार्य नहीं है।

प्रदेश संगठन मंत्री शिव शंकर सिंह जी ने महानिदेशक से कहा कि आपके आदेशानुसार पिछले एक वर्ष से जिलों में लगातार निरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है. बमुश्किल एक फीसदी शिक्षक एक मिनट भी देरी से पाए गए हैं। इसके बावजूद यह बिल्कुल भी व्यवहारिक नहीं है।

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