हाईकोर्ट आदेश : डिप्रेशन के कारण शिक्षक द्वारा दिया गया इस्तीफा विवेकपूर्ण नहीं, हाईकोर्ट ने बीएसए के आदेश को किया निरस्त

हाईकोर्ट आदेश : डिप्रेशन के कारण शिक्षक द्वारा दिया गया इस्तीफा विवेकपूर्ण नहीं, हाईकोर्ट ने बीएसए के आदेश को किया निरस्त

प्रयागराज, कोरोना काल में डिप्रेशन के कारण प्राइमरी स्कूल के शिक्षक का इस्तीफा स्वीकार करने के बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सेवा नियमों के मुताबिक इस्तीफे के लिए तीन महीने का नोटिस दिया जाना चाहिए, यदि नोटिस की अवधि कम करनी है तो शासन से अनुमति लेनी होगी।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिक्षक को सेवा में बहाल करते हुए उन्हें सहायक शिक्षक पद का कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति देने और नियमित वेतन देने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने प्राथमिक विद्यालय फुलतारा चन्द्रपुरिया, शंकरगढ़ के सहायक अध्यापक चन्द्रशेखर यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का इस्तीफा एक महीने के भीतर स्वीकार कर लिया गया है, मेडिकल जांच के दौरान याचिकाकर्ता को अवसादग्रस्त पाया गया। ऐसी स्थिति में दिया गया इस्तीफा विवेकपूर्ण नहीं माना जा सकता। इसलिए इस्तीफा स्वीकार करना कानून की नजर में सही नहीं है। कोर्ट ने बीएसए द्वारा 20 अक्टूबर 21 को पारित आदेश को निरस्त कर दिया।

याची 27 जून 2009 को प्राथमिक विद्यालय फुलतारा, विकास खंड शंकरगढ़ जिला प्रयागराज में सहायक अध्यापक नियुक्त हुआ। याचिकाकर्ता के भाई की कोविड महामारी के दौरान अचानक मृत्यु और उसकी पत्नी और पिता के भी इससे प्रभावित होने के कारण वह गंभीर मानसिक अवसाद में आ गया। जिसके चलते उन्होंने 20 सितंबर 2021 को इस्तीफा दे दिया।

जिसे बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज द्वारा 20 अक्टूबर 2021 को शिक्षक का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया गया और  सेवाएँ समाप्त कर दी गईं। कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता कोरोना काल में पारिवारिक बीमारी के कारण गहरे मानसिक अवसाद में था। इसलिए उनके द्वारा दिया गया इस्तीफा विवेकपूर्ण नहीं कहा जा सकता

Next Post Previous Post