प्रदेश में शिक्षामित्रों की स्थिति होगी बेहतर! मानदेय बढ़ाने की हो रही तैयारी, इस सम्बन्ध में देखें अधिकारियों की राय।

प्रदेश में शिक्षामित्रों की स्थिति होगी बेहतर! मानदेय बढ़ाने की हो रही तैयारी, इस सम्बन्ध में देखें अधिकारियों की राय।

उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में कार्यरत करीब डेढ़ लाख शिक्षामित्रों को बड़ी राहत मिलने जा रही है। योगी सरकार शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने जा रही है. बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने शुक्रवार को सदन में इस पर बयान भी दिया है. शिक्षा मित्रों की मांग पर विपक्ष के आवाज उठाने के बाद शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है। हालाँकि यूपी में शिक्षा मित्र अपना मानदेय बढ़ाने और अखिलेश सरकार की तरह सहायक शिक्षक के पद पर फिर से नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। शिक्षा मित्रों ने अपने अधिकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी, फिर भी उन्हें राहत नहीं मिल सकी। उसके बाद शिक्षामित्रों ने लगातार मानदेय बढ़ाने को लेकर आवाज उठाई, अब एक बार फिर उम्मीद है कि उनका मानदेय बढ़ेगा।

20 दिसंबर को बैठक प्रस्तावित

इस संबंध में बैठक का आयोजन 20 दिसंबर को किया जायेगा। इस बात की जानकारी उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ ने दी है। बता दें कि शासन स्तर पर कमेटी गठित कर वार्ता के माध्यम से समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया गया था जिसके क्रम में निदेशक बेसिक शिक्षा द्वारा आश्वस्त किया गया है कि 20 दिसंबर के बाद प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा की उपस्थिति में संगठन के पदाधिकारीयों को बुलाकर शासन स्तर पर विचार विमर्श कर समस्याओं के समाधान हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाएगी ।

दरअसल, विधानसभा शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को सपा नेता डॉ. मान सिंह यादव ने शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर आवाज उठाई। पहले तो इस पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, लेकिन बाद में जब अन्य सपा विधायक भी शुरू हो गए प्रश्न पूछना, बेसिक शिक्षामंत्री संदीप सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि जल्द ही सभी शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।

मंत्री ने स्पष्ट किया कि मानदेय क्यों कम किया गया

सपा विधायक डॉ.मानसिंह यादव ने कहा कि अखिलेश सरकार में शिक्षामित्रों को समान वेतन दिया जा रहा था। उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्रों को समान कार्य के लिए 40 हजार रुपये तक प्रतिमाह दिया जाता है. लेकिन योगी सरकार में शिक्षा मित्रों को राहत नहीं मिली. उन्होंने इस पर भी सवाल उठाए और कहा कि मानदेय के मामले में साल 2018 में एक हाई पावर कमेटी बनाई गई थी और उस कमेटी को भी इस बारे में सरकार को जानकारी देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि योगी सरकार 10 हजार रुपये सम्मान राशि दे रही है. इस पर बेसिक शिक्षा मंत्री ने जवाब दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 हजार शिक्षा मित्रों पर रकम छोड़ दी और बाकी रकम वापस कर दी, जिससे मानदेय की रकम पुरानी स्थिति में आ गई।

अब इतना हो सकता है मानदेय

आपको बता दें कि प्रदेश में शिक्षा मित्रों की ओर से लगातार मानदेय बढ़ाने की मांग की जा रही है. अब सरकार इस पर विचार करेगी. ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार मानदेय में दो से तीन हजार रुपये की बढ़ोतरी कर सकती है. जबकि शिक्षा मित्र लगातार मांग कर रहे हैं कि उन्हें कम से कम 30 हजार रुपये प्रति माह दिया जाए. शिक्षा मित्रों का यह भी कहना है कि शिक्षा मित्र इतने कम दामों में प्रतिदिन स्कूलों में जाकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, फिर भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है

साल में 12 महीने पर मानदेय 11 केवल महीने

फिलहाल शिक्षा मित्रों को 11 महीने का मानदेय मिलता है. जबकि साल में 12 महीने होते हैं. शिक्षा मित्रों का कहना है कि सरकार शिक्षकों को पूरे 12 महीने वेतन देती है तो फिर शिक्षा मित्रों के साथ यह अन्याय क्यों? हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस पर सरकार का अगला कदम क्या होगा। लेकिन सदन में घोषणा के बाद शिक्षामित्रों की उम्मीदें एक बार फिर बढ़ गई हैं. आपको बता दें कि शिक्षामित्रों की मांग है कि उन्हें दोबारा नियमित किया जाए और सहायक अध्यापक बनाया जाए. बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों ने टीईटी पास किया है। उनके लिए नियमों को शिथिल कर नियुक्तियां की जानी चाहिए। इतना ही नहीं शिक्षामित्र चाहते हैं कि जब तक वे नियमित नहीं हो जाते, उन्हें समान काम के लिए समान वेतन दिया जाए।

30 हजार रुपये होना चाहिए मानदेय, लेकिन सरकार कर रही अन्याय - शिव कुमार शुक्ला

शिव कुमार शुक्ला का कहना है कि प्रदेश के शिक्षामित्र पिछले 22 वर्षों से परिषदीय स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, आज इस भीषण महंगाई के दौर में उन्हें मात्र ₹10,000 ही मानदेय मिल रहा है, जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है. संगठन राज्य सरकार से मांग करता है कि मानदेय कम से कम 30,000 रुपये किया जाए ताकि उनके परिवार का भरण पोषण ठीक से हो सके और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने करीब 137000 शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया है। उत्तर प्रदेश के मित्रो को जुलाई 2017 से ₹10,000 का मानदेय दिया जा रहा है जो कि बहुत कम है। .जबकि आज महंगाई के कारण 2017 के बाद से मिड-डे मील में लगभग 35% की वृद्धि की गई है लेकिन शिक्षामित्रों को अभी भी केवल 10000 रुपये ही मिल रहे हैं। बेसिक शिक्षा मंत्री ने जिस मानदेय वृद्धि की बात कही है संगठन उसका स्वागत करता है। लेकिन जल्द ही मानदेय बढ़ाया जाना चाहिए।


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