हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने नई पेंशन योजना को चुनौती देने वाली प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों की सैकड़ों याचिकाएं की खारिज।

हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने नई पेंशन योजना को चुनौती देने वाली प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों की सैकड़ों याचिकाएं की खारिज।

हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक साथ सुनवाई करते हुए नई पेंशन योजना को चुनौती देने वाली प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों की सैकड़ों याचिकाएं खारिज कर दी हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को नई पेंशन योजना लागू होने के बाद नियुक्ति मिली थी और उन्होंने अपने नियुक्ति पत्र के नियमों और शर्तों को स्वीकार कर लिया था।

यह निर्णय न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने प्राथमिक विद्यालयों के सहायक शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों की कुल 219 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिकाकर्ताओं की ओर से नई पेंशन योजना लागू करने के 28 मार्च 2005 के सरकारी आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि नई पेंशन योजना में अनिश्चितताएं हैं और यह शेयर बाजार पर निर्भर करेगी, साथ ही याचिकाकर्ता प्रान (परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर) में पंजीकरण न कराने वाले शिक्षकों का वेतन रोकने संबंधी शासनादेश दिनांक 16 दिसंबर 2022 के उस प्रावधान को भी चुनौती दी गई, जिसमें याचिकाकर्ताओं का वेतन रोकने का प्रावधान किया गया था। शिक्षकों की जिन्होंने एनपीएस नहीं अपनाया था। हालाँकि, कोर्ट ने कहा कि 27 जनवरी, 2023 को संशोधित शासनादेश पारित करते हुए, राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि PRAN में पंजीकरण नहीं कराने वाले शिक्षकों का वेतन नहीं रोका जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार के 27 जनवरी के आदेश के बाद वेतन रोकने संबंधी प्रावधान को चुनौती देने की प्रार्थना भी निरर्थक हो गयी है।

उल्लेखनीय है कि जनवरी 2023 में न्यायालय ने वेतन रोके जाने संबंधी प्रावधान पर हस्तक्षेप करते हुए सरकार को आदेश दिया था कि वह प्रान में पंजीकरण न कराने वाले शिक्षकों के वेतन न रोके।

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