कार्यमुक्त होने के लिए शिक्षकों ने कोर्ट में दायर की याचिका, सात महीने बीते फिर भी नहीं कर पाए पारस्परिक तबादले

कार्यमुक्त होने के लिए शिक्षकों ने कोर्ट में दायर की याचिका, सात महीने बीते फिर भी नहीं कर पाए पारस्परिक तबादले


प्रदेश भर के करीब चार हजार परिषदीय शिक्षकों का अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण का इंतजार सात महीने बाद भी पूरा नहीं हो सका है। पहले शिक्षकों को आवेदन के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ता था और अब अपने-अपने जिले से रिलीव होने के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ रहा है।

अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने 2 जून 2023 को अंतरजिला सामान्य एवं पारस्परिक स्थानांतरण का आदेश जारी किया था जिसके अनुसार ग्रीष्मावकाश के दौरान दोनों स्थानांतरण प्रक्रियाएँ समानांतर रूप से चलनी थीं। महज 25 दिनों के भीतर 26 जून को सामान्य स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया गया और 2 जुलाई को सभी को कार्यमुक्त कर दिया गया। लेकिन, अंतर जिला पारस्परिक स्थानांतरण का मामला अटका हुआ है। इससे पहले कुछ ऐसे शिक्षकों ने ऑनलाइन आवेदन किया था जो अंतर जिला पारस्परिक स्थानांतरण का लाभ ले चुके थे। जब इन शिक्षकों को पेयर बनाने से रोका गया तो कुछ शिक्षक हाईकोर्ट चले गए और हाईकोर्ट से नतीजा भी उनके पक्ष में आया, लेकिन विभाग ने अभी तक उनकी पेयरिंग नहीं कराया है।

वहीं, पहली बार अंतरजिला म्युचुअल के लिए आवेदन और जोड़ी बनाने की प्रक्रिया महज तीन महीने में पूरी कर ली गई। सचिव प्रताप सिंह बघेल के 29 दिसंबर के आदेश पर इन्हें शीतकालीन अवकाश के दौरान 11 से 13 जनवरी तक कार्यमुक्त किया जाना था। हालांकि सचिव ने एक आदेश का हवाला देते हुए नौ जनवरी को पारस्परिक स्थानांतरण पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। यूपी टीईटी उत्तीर्ण शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष अनुराग सिंह का कहना है कि कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर कोई स्थगन आदेश नहीं दिया है। इसके बावजूद मनमाने ढंग से प्रक्रिया रोक दी गयी है। अब इन शिक्षकों ने राहत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.

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