परिषदीय शिक्षकों के प्रमोशन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने लगाई रोक, बिना TET नही हो सकेगी पदोन्नति

परिषदीय शिक्षकों के प्रमोशन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने लगाई रोक, बिना TET नही हो सकेगी पदोन्नति

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने शिक्षकों के प्रमोशन पर रोक लगा दी है। मुख्य याचिकाकर्ता हिमांशु राणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि जब तक सरकार नियमों में संशोधन कर टीईटी को अनिवार्य नहीं कर देती, तब तक प्रमोशन नहीं होंगे। न्यायमूर्ति मसूदी और न्यायमूर्ति सिंह की पीठ ने यह आदेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी और डीपी शुक्ला की जिरह पर पारित किया, जिसमें याचिकाकर्ता हिमांशु राणा और अन्य ने कहा कि सरकार पदोन्नति करने जा रही है, जबकि बेसिक शिक्षा नियमावली के अनुसार ,विभाग में नियुक्तियां की जाती हैं, और प्रमोशन के अपने नियम हैं 18 जिसके अनुसार प्रमोशन किया जाता है, उसमें टीईटी लागू नहीं किया गया है जो कि नियमों के विरुद्ध है, जिसे हाईकोर्ट ने भी सही माना है और पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। सरकार से यह भी कहा गया है कि आप टीईटी उत्तीर्ण लोगों को प्रमोट कर सकते हैं, लेकिन प्रक्रिया को नियमों में संशोधन करके ही बढ़ाया जा सकता है। शिक्षक हिमांशु राणा ने कहा कि सरकार स्वीकृत पदों को लेकर कोर्ट को भ्रमित करती है।

जबकि शिक्षकों के सभी पद रिक्त पड़े हैं। यहां तक ​​कि ट्रांसफर और प्रमोशन के समय रिक्त पदों का डेटा भी अलग-अलग दिखाया गया, इसलिए अब डिवीजन बेंच में इसके लिए याचिका की तैयारी की जा रही है. हिमांशु राणा ने स्पष्ट किया कि शिक्षक हित में लड़ाई जारी रहेगी, चाहे देश की सर्वोच्च अदालत तक जाना पड़े, लेकिन नियम के विरुद्ध कोई काम नहीं होने दिया जायेगा।

क्या माजरा था?

लंबे समय से शिक्षकों के हितों के लिए संघर्ष कर रहे याचिकाकर्ता हिमांशु राणा ने कहा कि 2010 में जब शिक्षा का अधिकार कानून पारित हुआ तब से सरकार ने पदोन्नति के लिए बेसिक शिक्षा नियमावली में टीईटी को अनिवार्य नहीं किया है, जो कि इसके खिलाफ है. नियम, जबकि प्राथमिक करने के लिएस्कूल में प्रधान बनें या उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक बनें, इसके लिए एनसीटीई ने वर्ष 2014 में ही नियम बना दिया था कि बिना टीईटी पास किए शिक्षकों की पदोन्नति नहीं की जा सकती।


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