सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय जांच जारी रखने का कोई प्रावधान नहीं, देखें कोर्ट ने क्या कहा

सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय जांच जारी रखने का कोई प्रावधान नहीं, देखें कोर्ट ने क्या कहा

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि किसी सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच की कार्यवाही नहीं की जा सकती। ऐसी कार्रवाई शून्य होगी। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम की नियमावली में सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच जारी रखने का कोई प्रावधान नहीं है।

Departmental Inquiry after Retirement

महेंद्र नाथ शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने  दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने नौ साल बाद अपील खारिज करते हुए वरिष्ठ भंडारण अधीक्षक को सेवानिवृत्ति के बाद जांच में दोषी मानते हुए नुकसान की वसूली के आदेश रद्द कर दिए हैं। साथ ही मुआवजे के साथ उनकी याचिका भी स्वीकार कर ली गई है। याची के अधिवक्ता आशुतोष त्रिपाठी का कहना था कि याची वर्ष 1971 में राज्य भंडारण निगम में लिपिक पद पर नियुक्त हुआ था। बाद में उन्हें वरिष्ठ अधीक्षक भंडारण के पद पर पदोन्नत किया गया।

लापरवाही बरतने और निगम को नुकसान पहुंचाने के आरोप में उनके खिलाफ जांच शुरू की गई थी। जांच अधिकारी ने 8 नवंबर 2005 को आरोप पत्र दिया। याचिकाकर्ता ने जवाब दाखिल किया और आरोपों से इनकार किया। जांच रिपोर्ट में याचिकाकर्ता और दो अन्य को सभी पांच आरोपों में 25,21,171.38 रुपये का नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया गया। इसके बाद प्रबंध निदेशक ने 12 मई 2010 को याचिकाकर्ता से 12,80,586 रुपये की वसूली का आदेश जारी कियाइसके खिलाफ दायर अपील को निगम के निदेशक मंडल ने नौ साल तक लंबित रखा।

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