सहायक अध्यापक भर्ती-2020 में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, गैर चयनित अभ्यर्थियों को लगा झटका

सहायक अध्यापक भर्ती 2020 में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, गैर चयनित अभ्यर्थियों को लगा झटका

सहायक अध्यापक भर्ती-2020 में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर गैर चयनित अभ्यर्थियों को बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अनारक्षित, आरक्षित सीटों के वितरण के साथ-साथ क्षैतिज आरक्षण के लिए सीटों की संख्या संबंधित कानूनों और नियमों के अनुसार निर्धारित की गई है। इसमें कोई गलती नहीं है।

याचिकाकर्ता यह स्पष्ट नहीं कर सके कि आरक्षण देने में गलती हुई है। साथ ही चयनित अभ्यर्थियों को पक्षकार नहीं बनाया गया है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने श्वेता मौर्य व 21 अन्य समेत कुल 27 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सहायक शिक्षक 2020 भर्ती मामले में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अभ्यर्थियों को दिया गया आरक्षण सही नहीं है। सहायक अध्यापकों का चयन जिला स्तर पर किया गया। जबकि राज्य स्तर पर आरक्षण को गलत तरीके से लागू किया गया। इसका अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

नियुक्तियों की संख्या की सटीक जानकारी नहीं दी गयी

ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों की संख्या और उन पर नियुक्तियों की संख्या के बारे में सटीक जानकारी नहीं दी गई। याचिकाकर्ताओं ने शाहजहाँपुर, झाँसी और हरदोई जिलों में चयनित अभ्यर्थियों का भी हवाला दिया। जवाब में कहा गया कि अंतिम मेरिट सूची 1994 अधिनियम के तहत पदों के आरक्षण को ध्यान में रखते हुए जिलेवार तैयार की गई है। इसमें कोई अनियमितता नहीं हुई है। याचिकाकर्ताओं द्वारा चयनित अभ्यर्थियों को भी पक्षकार नहीं बनाया गया। इस कारण याचिका पोषणीय नहीं है।

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