मृतक आश्रित सेवा मामले में हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की दावेदार
लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मृतक आश्रित सेवा मामले में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मृतक आश्रित कर्मचारी की विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति का दावा कर सकती है। इस उदाहरण के साथ, अदालत ने अधिकारियों को सिंचाई विभाग के एक मृत कर्मचारी की विवाहित बेटी की अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पर दो महीने के भीतर पुनर्विचार करने का आदेश दिया। इससे पहले, अनुकंपा नियुक्ति के लिए विवाहित बेटी की याचिका इस आधार पर खारिज कर दी गई थी कि वह परिवार में आश्रित नहीं थी, उसके दो भाई कार्यरत थे और उसकी मां पेंशनभोगी थी। इसके खिलाफ बेटी ने दोबारा कोर्ट की शरण ली थी।
यह निर्णय एवं आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने मृतक आश्रित कर्मचारी की बेटी कविता तिवारी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया. याचिकाकर्ता ने आवेदन खारिज करने के आदेश को चुनौती दी थी और अनुकंपा नियुक्ति देने के निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था।
याची का कहना था कि उसके पिता लखनऊ में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग में ड्राइवर के पद पर कार्यरत थे। जिनकी वर्ष 2019 में सेवा के दौरान मृत्यु हो गई। जब याचिकाकर्ता ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए विभाग में आवेदन किया, तो आवेदन यह कहकर खारिज कर दिया गया कि वह शादीशुदा है, वह परिवार में आश्रित नहीं है, उसके दो भाई नौकरी करते हैं और उसकी मां को पेंशन मिलती है।