उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश के पूर्व हुईं बीएड डिग्रीधारकों की नियुक्तियां वैध

जबलपुर: हाईकोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती से जुड़े एक मामले में अहम आदेश पारित करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि वे सभी बीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थी जिनकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले साल 11 अगस्त को दिए गए आदेश से पहले हुई थी, नौकरी पर बने रहेंगे।

B.ed vs D.el.ed

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट की शर्त के अनुसार, इन सभी B.Ed डिग्री धारकों को ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य होगा। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी साफ कर दिया कि अगर उन्होंने एक साल के भीतर यह कोर्स पूरा नहीं किया तो उनकी नियुक्ति रद्द कर दी जायेगी। सुप्रीम कोर्ट के उक्त फैसले के बाद हाई कोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों की प्राथमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति को अवैध माना है। साथ ही शिक्षक भर्ती नियमावली 2018 की वैधानिकता को लेकर अलग से याचिका दायर करने की छूट दी गई है। यह आदेश प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने दिया।

दरअसल, सैकड़ों डीएलएड छात्रों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्राथमिक शिक्षक के पद पर बीएड डिग्री धारकों की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 8 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था।

इस आदेश को स्पष्ट करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हलफनामा दायर कर बताया था कि प्राथमिक शिक्षकों की कुल 21962 नियुक्तियों में से 11,583 बीएड अभ्यर्थी हैं। शेष पद D.El.Ed अभ्यर्थियों से भरे गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रतीक्षा सूची से 284 बीएड डिग्री अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई है।

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