ग्रेच्युटी (Gratuity) क्या है? कैसे होती है कैलकुलेट और कब मिलती है? जानें सब कुछ

ग्रेच्युटी (Gratuity) क्या है? कैसे होती है कैलकुलेट और कब मिलती है? जानें सब कुछ

Gratuity | ग्रेच्युटी

आप सभी पाठकों का 'Sir Ji Ki Paathshala' में स्वागत है। आज हम आपको सरकारी/गैर सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रेच्युटी (Gratuity) के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं। इस पोस्ट में ग्रेच्युटी से लेकर, ग्रेच्युटी की पात्रता, कैलकुलेशन सहित समय-समय पर जारी नोटिफिकेशन और अपडेट के बारे में भी बताएंगे।

1. ग्रेच्युटी क्या है? विस्तार से समझें | What is Gratuity?

ग्रेच्युटी किसी संस्थान अथवा विभाग द्वारा अपने उन कर्मचारियों को दी जाने वाली राशि है, जिन्होंने उस संस्थान अथवा विभाग में लंबे समय तक काम किया हो अर्थात अपनी सेवा दिया हो। यह वेतन, पेंशन और प्रोविडेंट फंड (PF) के अतिरिक्त दिया जाने वाला लाभ है। यह 'ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972' द्वारा अधिशासित है।

ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 | Gratuity Payment Act 1972

विभिन्न संस्थानों तथा विभागो में कार्यरत कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए वर्ष 1972 में 'ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम' लागू किया गया था। इस कानून के तहत खनन क्षेत्रों, कारखानों, तेल क्षेत्रों, वन क्षेत्रों, कंपनियों और बंदरगाहों जैसे अन्य सभी क्षेत्रों में काम करने वाले उन सभी प्रतिष्ठानों के कर्मचारी, जहां 10 या अधिक कर्मचारी काम करते हैं, शामिल थे। ग्रेच्युटी और प्रोविडेंट फंड बिल्कुल अलग-अलग हैं। ग्रेच्युटी में पूरी रकम नियोक्ता द्वारा दी जाती है, जबकि भविष्य निधि में कुछ हिस्सा कर्मचारी से भी लिया जाता है

इस एक्ट के दायरे में आने वाली संस्थाएं | Institutions covered under this Act

कोई भी संगठन जहां पिछले 12 महीनों के दौरान किसी एक दिन 10 या अधिक कर्मचारियों ने काम किया है, ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के अंतर्गत आता है। एक बार जब कोई संगठन अधिनियम के दायरे में आ जाता है, तो वह हमेशा के लिए अधिनियम के दायरे में ही रहता है, भले ही बाद में कर्मचारियों की संख्या घटकर 10 हो जाए।

इसके अंतर्गत कर्मचारियों की 2 श्रेणियां हैं

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रेच्युटी की राशि का फॉर्मूला तय करने के लिए कर्मचारियों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है। पहली श्रेणी में वे कर्मचारी शामिल हैं जो इस अधिनियम के दायरे में आते हैं, जबकि दूसरी श्रेणी में वे कर्मचारी शामिल हैं जो इस अधिनियम से बाहर हैं। इन दो श्रेणियों में निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारी शामिल हैं। दूसरे के तहत जो नियोक्ता (कंपनी या संस्थान) ग्रेच्युटी एक्ट के दायरे में नहीं आता, वह भी अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ दे सकता है।

2. ग्रेच्युटी हेतु पात्रता | Eligibility for Gratuity

कोई कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार तभी होता है, जब उसने संस्थान या विभाग में लगातार कम से कम पांच साल तक काम किया हो। अगर कोई कर्मचारी दुर्घटना या किसी बीमारी के कारण विकलांग हो जाता है तो उसे पांच साल से पहले भी ग्रेच्युटी मिल सकती है। ग्रेच्युटी मुख्य रूप से आपके अंतिम वेतन और कंपनी को दी गई सेवा के वर्षों पर निर्भर करती है। अगर तय समयावधि से पहले कोई कर्मचारी नौकरी से रिजाइन दे देता है या फिर नौकरी चेंज कर लेते हैं तो उन्हें ग्रेच्युटी का लाभ नहीं मिलेगा। 

3. ग्रेच्युटी भुगतान के लिए पात्रता के मानदंड | Eligibility Criteria for Gratuity Payment

एक कर्मचारी निम्नलिखित परिस्थितियों में ही ग्रेच्युटी पाने का पात्र होता है:

  • एक कर्मचारी एक ही संगठन में 5 वर्ष की निरंतर सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त हो जाता है।
  • यदि कोई कर्मचारी एक ही संगठन में 5 साल तक काम करने के बाद इस्तीफा दे देता है।
  • अस्थायी कर्मचारी, संविदा कर्मचारी भी पात्र हैं यदि उन्हें कंपनी में कर्मचारी माना जाता
  • जब किसी कर्मचारी को किसी असाइनमेंट पर विदेश स्थानांतरित किया जाता है, तो वह ग्रेच्युटी के लिए पात्र होता है।
  • एक कर्मचारी जिसकी बीमारी या दुर्घटना के कारण मृत्यु हो जाती है/ विकलांगता हो जाती है।

4. ग्रेच्युटी का लाभ कब मिलता है ? | Gratuity for When?

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि किसी भी संस्थान अथवा विभाग में 5 साल तक लगातार काम करने पर कर्मचारी को ग्रेच्युटी (Gratuity) का लाभ मिलता है। लेकिन कुछ मामलों में यह समय सीमा (Service Limit) कम होती है। 'ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972' के Section 2A के अनुसार यदि कोई कर्मचारी भूमिगत खदान में काम करता है तब वह लगातार 4 साल 190 दिन पूरे होने के बाद ग्रेच्युटी का लाभ ले सकता है। वहीं बाकी अन्य संस्थानों में 4 साल 240 दिन (यानी 4 साल 8 महीने) की सेवा के बाद ही ग्रेच्युटी मिलती है। दरअसल ग्रेच्युटी में नोटिस पीरियड को भी गिना जाता है। क्योंकि, नोटिस पीरियड भी 'लगातार सर्विस' में आता है। याद रखें, ग्रेच्युटी का लाभ नौकरी छोड़ने या फिर रिटायरमेंट के बाद ही मिलता है। 

5. ग्रेच्युटी कैलकुलेशन कैसे करें? | Gratuity Calculation 

कैटेगरी 1- वे कर्मचारी जो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के दायरे में आते हैं।
कैटेगरी 2- वे कर्मचारी जो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के दायरे में नहीं आते।

कैटेगरी 1 हेतु ग्रेच्युटी की गणना करने का फॉर्मूला: 
(15 x पिछली सैलरी x काम करने की अवधि)/ 26

  • आखिरी वेतन= मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन (अगर हो तो)। इस फॉर्मूले में महीने में 26 दिन कार्यदिवस मानकर कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान किया जाता है।
  • नौकरी की अवधि= नौकरी के आखिरी साल में 6 महीने से ऊपर काम करने की स्थिति में उसे पूरा साल माना जाएगा, जैसे 5 साल 7 महीने नौकरी करने की स्थिति में उसे 6 साल ही माना जाएगा।
  • उदाहरण- A लिमिटेड में 5 साल 8 महीने तक नौकरी करने के बाद मिस्टर सन जॉब छोड़ देते हैं। नौकरी छोड़ने के आखिरी महीने के दौरान उनका मूल वेतन 13000 रुपए महीना था। ऐसी स्थिति में फॉर्मूले के अनुसार उनकी ग्रेच्युटी की रकम इस तरह निकलेगी।
  • कितनी मिलेगी ग्रेच्युटी: 13000x6x15/26= 45,000 रुपए
  • कैटेगरी 2 वालों के लिए ग्रेच्युटी की गणना करने का फॉर्मूला: (15 x पिछली सैलरी x काम करने की अवधि)/ 30

कैटेगरी 2 हेतु ग्रेच्युटी की गणना करने का फॉर्मूला: 
(15 x पिछली सैलरी x काम करने की अवधि)/ 30

  • आखिरी वेतन= मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन (अगर हो तो)। इस फॉर्मूले में महीने में 30 दिन कार्यदिवस मानकर कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान किया जाता है।
  • नौकरी की अवधि= इस तरह के कर्मचारियों के लिए नौकरी के आखिरी साल में 12 महीने से कम की अवधि को नहीं जोड़ा जाता है। जैसे अगर कर्मचारी ने 5 साल 7 महीने काम किया है तो उसे 5 साल ही माना जाएगा।
  • उदाहरण- B लिमिटेड कंपनी में 5 साल 8 महीने तक नौकरी करने के बाद मिस्टर मून जॉब छोड़ देते हैं। नौकरी छोड़ने के आखिरी महीने के दौरान उनका मूल वेतन 13000 रुपए महीना था। ये कंपनी एक्ट के दायरे में नहीं आती, ऐसी स्थिति में फॉर्मूले के अनुसार मि. मून की ग्रेच्युटी की रकम इस तरह निकलेगी।
  • कितनी मिलेगी ग्रेच्युटी: 13000x5x15/30= 32,500 रुपए

6. कर्मचारी की मृत्यु होने की स्थिति में ग्रेच्युटी की गणना

कर्मचारी की मृत्यु होने की स्थिति में ग्रेच्युटी का भुगतान नौकरी की अवधि के आधार पर किया जाता है, जहां अधिकतम 20 लाख रुपए तक की रकम दी जा सकती है।

नौकरी की अवधि ग्रेच्युटी
1 साल से कम मूल वेतन का दोगुना
1 साल से ज्यादा लेकिन 5 साल से कम मूल वेतन का 6 गुना
5 साल से ज्यादा लेकिन 11 साल से कम मूल वेतन का 12 गुना
11 साल से ज्यादा लेकिन 20 साल से कम मूल वेतन का 20 गुना 
20 साल से ज्यादा नौकरी हर छह महीने की नौकरी के लिए मूल वेतन का आधा। 


नोट : 20 साल से ज्यादा नौकरी की स्थिति में हर छह महीने की नौकरी के लिए मूल वेतन का आधा। (परिलब्धियों के 33 गुना से ज्यादा ना हो) परिलब्धियों का अर्थ है पे बैण्ड में वेतन , ग्रेड वेतन, सैन्य सेवा वेतन एन.पी.ए. (यदि देय हो) तथा मंहगाई भत्ता जो आखिरी में देय हो।

कृपया ध्यान रखें कि आपके सम्पूर्ण कार्यकाल में, आपके द्वारा दावा की जाने वाली अधिकतम कर-मुक्त ग्रेच्युटी राशि 20 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकती।


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