Surrogacy : सरोगेसी क्या है? भारत में क्या है सरोगेसी मां बनने का नियम?
Surrogacy : सरोगेसी क्या है? भारत में क्या है सरोगेसी मां बनने का नियम?
पिछले कुछ सालों में एक शब्द बेहद लोकप्रिय हुआ है जिसको सरोगेसी के नाम से जाना जाता है। अब तो भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने भी अधिसूचना जारी कर दिया है। जिसके तहत सरोगेसी की दशा में, सरोगेट मां के साथ अधिष्ठाता माता जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, एक अथवा दोनों के सरकारी सेवक होने की दशा में, 180 दिन का मातृत्व अवकाश का लाभ मिल सकेगा।
आप भी जानें क्या होती है सरोगेसी और ये कितने तरह से होती है?
पिछले कुछ सालों से महिलाओं और आम लोगों के बीच एक शब्द खूब सुनने को मिल रहा है। साल 2022 में यह शब्द सबसे ज्यादा गूगल पर भी सर्च किया गया। यह शब्द है 'सरोगेसी'। सरोगेसी के बारे में कुछ लोगों को तो जानकारी है, लेकिन अधिकांश लोग ऐसे भी हैं जिन्हें इसके बारे में बहुत कम जानकारी है।
सरोगेसी शब्द अचानक तब लोकप्रिय हो गया जब एक के बाद एक कई बॉलीवुड फिल्मी सितारे इसके जरिए माता-पिता बने। सरोगेसी के जरिए माता-पिता बनने वालों में बॉलीवुड के प्रमुख सितारे प्रियंका चोपड़ा, शाहरुख खान, आमिर खान, करण जौहर, शिल्पा शेट्टी, प्रीति जिंटा आदि का नाम प्रमुख रूप से आता है।
सरोगेसी (Surrogacy) क्या है?
आसान शब्दों में, अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला की कोख में अपने बच्चे को पालना सरोगेसी (Surrogacy) कहलाता है। ऐसे दम्पत्ति जो माता-पिता बनना तो चाहते हैं लेकिन किसी बीमारी या अन्य समस्या के कारण वे बच्चे पैदा नहीं कर सकते, इस स्थिति में ऐसे ही दम्पत्ति सरोगेसी को अपनाते हैं।
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जब किसी वजह से कोई दम्पत्ति, माता-पिता नहीं बन पाते हैं, तब बच्चा पैदा करने के लिए ऐसे कपल दूसरी महिला की कोख का सहारा लेते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बच्चा पैदा करने का एक लीगल एग्रीमेंट बनाया जाता है, जिसमें अपनी कोख देने वाली महिला और बच्चा लेने वाले माता-पिता शामिल होते हैं। इस तरह से गर्भ में बच्चा पालने से लेकर पैदा होने तक की पूरी प्रक्रिया को ही सरोगेसी (Surrogacy) कहते हैं। दूसरे के बच्चे को अपने गर्भ में पालने वाली महिला को सरोगेट मदर (किराए की कोख) कहते हैं।
भारत में सरोगेसी (Surrogacy) के प्रकार
भारत में सरोगेसी (Surrogacy) दो प्रकार की होती है, इसके लिए कुछ कानूनी नियम भी हैं। पहली पारंपरिक सरोगेसी और दूसरी जेस्टेशनल सरोगेसी।
पारंपरिक सरोगेसी: पारंपरिक सरोगेसी में दाता या पिता के शुक्राणु को सरोगेट मां के अंडे के साथ मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया में बच्चे की जैविक मां सरोगेट मां होती है। यानी जिसकी कोख किराये पर ली गई है. हालाँकि, बच्चे के जन्म के बाद उसके आधिकारिक माता-पिता वो दम्पति होते हैं जिन्होंने सरोगेसी का विकल्प चुना है।
जेस्टेशनल सरोगेसी: जेस्टेशनल सरोगेसी में माता-पिता के शुक्राणु और अंडे को मिलाकर सरोगेट मां के गर्भ में रखा जाता है। इस प्रक्रिया में सरोगेट मां ही बच्चे को जन्म देती है। सरोगेट मां का आनुवंशिक रूप से बच्चे से कोई संबंध नहीं होता है। बच्चे की मां वह महिला है जो सरोगेसी कराती है
इन 6 स्थितियों में ही सरोगेसी की मदद ली जा सकती है -
- अगर बार-बार अबॉर्शन यानी गर्भपात हो रहा हो।
- यूट्रस कमजोर या उसमें कोई बीमारी हो।
- जब महिला का यूट्स जन्म से बना ही न हो।
- IVF ट्रीटमेंट 3 बार से ज्यादा फेल हो गया हो।
- मां-बाप में से कोई एक या दोनों इन्फर्टाइल हों।
- खतरनाक बीमारी जैसे हार्ट अटैक की समस्या हो।
12 पॉइंट्स में जानिए क्या है देश में सरोगेसी को लेकर कानून?
सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2020 के अनुसार.....
- देश में कमर्शियल सरोगेसी पर बैन है।
- सिर्फ इन्फर्टाइल और भारतीय कपल ही सरोगेसी से बच्चे पैदा कर सकते हैं।
- पति की उम्र 26 से 55 और पत्नी की उम्र 25 से 50 साल के बीच होनी चाहिए।
- कपल के पास मेडिकल सर्टिफिकेट होना चाहिए, जिससे पता लगे कि कोई एक या दोनों बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हैं।
- सरोगेसी के लिए अप्लाई करने वाले कपल का सरोगेट मां का करीबी रिश्तेदार होना जरूरी है।
- सरोगेट मां के हेल्थ और डिलीवरी का पूरा खर्च बच्चे के पेरेंट्स देंगे।
- इसके अलावा सरोगेट मदर को किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिलेगी।
- जो महिला सरोगेट मां बनेगी उसकी जिंदगी में एक बार शादी जरूर होनी चाहिए। उस महिला का एक बच्चा भी होना चाहिए।
- कोई भी महिला अपने जीवन में सिर्फ एक बार ही सरोगेट मां बन सकती है।
- कोई भी क्लिनिक सरोगेसी को लेकर अखबार या फिर टीवी पर विज्ञापन नहीं दे सकता।
- सरोगेसी प्रोसेस के दौरान किसी भी वक्त बच्चे का जेंडर चुनने की भी सख्त पाबंदी है।
सोर्स- एडवोकेट शशि किरण, सुप्रीम कोर्ट