परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को डांटा तो होगी कार्यवाई, परिसर में इधर-उधर दौड़ाना, चुटकी काटना भी मना।

परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को डांटा तो होगी कार्यवाई, परिसर में इधर-उधर दौड़ाना, चुटकी काटना भी मना।

Physical Punishment Ban in Schools

परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के साथ ऐसा करना दंडनीय है-

  • बच्चों को डांटना
  • बच्चों को चांटा मारना 
  • बच्चों को चुटकी काटना
  • क्लास रूम में अकेले रखना
  • परिसर में इधर-उधर दौड़ाना
  • बच्चों को घुटनों के बल बैठाना
  • शारीरिक या मानसिक सजा देना 

किसी भी तरह की शारीरिक या मानसिक सजा देना दंड के अंतर्गत आएगा। बच्चों को डांटना, परिसर में इधर-उधर दौड़ाना, चुटकी काटना, चांटा मारना, बच्चों को घुटनों के बल बैठाना, क्लास रूम में अकेले रखना

उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को अब किसी भी तरह की शारीरिक या मानसिक सजा देना दंड के अंतर्गत आएगा। बच्चों को डांटना, परिसर में इधर-उधर दौड़ाना, चुटकी काटना, चाटना, बच्चों को घुटनों के बल बैठाना, क्लास रूम में अकेले रखना आदि वर्जित है। नए सत्र में बेसिक शिक्षा विभाग ने इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।

विभाग ने कहा है कि व्यापक प्रचार-प्रसार के माध्यम से सभी बच्चों को बताया जाना चाहिए कि उन्हें शारीरिक दंड के खिलाफ अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। हर स्कूल में जहां छात्रावास, जेजे होम, बाल संरक्षण गृह आदि हों, वहां एक मंच बनाया जाना चाहिए, जहां बच्चे अपनी बात रख सकें। प्रत्येक विद्यालय में एक शिकायत पेटी होनी चाहिए, जिसमें विद्यार्थी अपना शिकायत पत्र दे सकें। अभिभावक शिक्षक समिति इन शिकायतों को नियमित रूप से सुनेगी।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी बीएसए को निर्देश दिए हैं कि भोजन, खेल के मैदान, पेयजल और शौचालय सुविधाओं में किसी के साथ कोई भेदभाव न किया जाए। शिक्षकों को बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करते हुए उनके लिए तैयार किए गए मॉड्यूल पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। सभी विद्यालय यह सुनिश्चित करेंगे कि हर माह शिक्षक-अभिभावक समिति की बैठक में इसकी विस्तृत जानकारी दी जाय।

उन्होंने कहा कि स्कूलों में पढ़ाई से संबंधित बच्चों और अभिभावकों की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए मुख्यमंत्री द्वारा जून में लॉन्च किए गए टोल फ्री नंबर 18008893277 का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। इस नंबर को स्कूल में नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया जाए। इस विषय पर प्राप्त शिकायतों एवं सुझावों की भी नियमित रूप से मॉनिटरिंग की जाय।

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