रिटायर्ड कर्मचारी के खिलाफ नहीं हो सकती विभागीय जांच, हाईकोर्ट का आदेश, 27 लाख की वसूली भी हुई रद्द

रिटायर्ड कर्मचारी के खिलाफ नहीं हो सकती विभागीय जांच, हाईकोर्ट का आदेश, 27 लाख की वसूली भी हुई रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि कोई भी कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी नहीं रहता, इसलिए रिटायरमेंट के बाद नियमानुसार उसके खिलाफ विभागीय जांच नहीं की जा सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य भंडारण निगम फतेहपुर के सेवानिवृत्त कर्मचारी से 27 लाख 21 हजार 930 रुपये 26 पैसे की वसूली रद्द कर दी है। कोर्ट ने कहा कि विभागीय जांच में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। याची को साक्ष्य प्रस्तुत करने व सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया तथा एक पक्षीय जांच रिपोर्ट के आधार पर उसे सेवा से बर्खास्त कर वसूली आदेश जारी कर दिया गया। 

Court Case

कोर्ट ने राज्य भंडारण निगम के इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया कि मामले को नियमित जांच करने के लिए विभाग को वापस भेजा जाना चाहिए क्योंकि याचिकाकर्ता के सेवानिवृत्त होने से पहले विभागीय जांच की कार्यवाही शुरू की गई थी और बाद में दंडित किया गया था। कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद यदि याचिकाकर्ता निगम का कर्मचारी नहीं रहा तो उसके खिलाफ विभागीय जांच कैसे की जा सकती है। हाईकोर्ट ने यह आदेश भंडार सहायक रहे सुंदरलाल की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है।

याची के अधिवक्ता आशुतोष त्रिपाठी का कहना था कि विभागीय जांच में जांच अधिकारी द्वारा मौखिक साक्ष्य के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई थी। याचिकाकर्ता को स्पष्टीकरण का मौका नहीं दिया गया। आरोप पत्र के उत्तर पर विचार नहीं किया गया और न ही उत्तर से असंतुष्ट होने का कोई कारण बताया गया। जांच में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

याचिकाकर्ता को जांच में शामिल नहीं होने दिया गया और रिपोर्ट दे दी गयी। विनियम 16(3) का पालन नहीं किया गया। निगम के अधिवक्ता ने इस कमी को स्वीकार किया और कहा कि विभाग को दोबारा जांच का मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने इसे उचित नहीं माना और प्रबंध निदेशक के 24 अक्टूबर 2016 के वसूली आदेश को रद्द कर दिया।

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