BREAKING : पेंशन स्कीम पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला: OPS और NPS की जगह अब UPS लागू होगा।

BREAKING : पेंशन स्कीम पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला: OPS और NPS की जगह अब UPS लागू होगा।

मोदी सरकार ने पेंशन स्कीम को लेकर बड़ा फैसला किया है। आज हुई कैबिनेट की बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) और न्यू पेंशन स्कीम (NPS) की जगह यूनिफाईड पेंशन स्कीम (UPS) पर मुहर लगा दिया है। सरकार ने कहा कि जो कर्मचारी 25 साल तक नौकरी करेगा उसे पूरी पेंशन मिलेगी।

यूपीएस स्कीम से 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को फायदा होगा। यह स्कीम 1 अप्रैल 2025 से लागू की जाएगी।

NPS OPS PENSION UPS

पीएम मोदी ने पेंशन योजना में संशोधन के लिए अप्रैल 2023 में एक समिति का गठन किया था।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि देशभर के सरकारी कर्मचारियों की हमेशा से मांग रही है कि एनपीएस योजना में सुधार किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2023 में इस सुधार के लिए एक समिति बनाई थी। डॉ. सोमनाथन इस समिति के अध्यक्ष थे। इस कमेटी ने 100 से ज्यादा सरकारी कर्मचारी संगठनों से बात की। इस समिति ने लगभग सभी राज्यों से बातचीत की। राज्य सरकार के कर्मचारियों के संगठनों को भी प्राथमिकता दी गई। पीएम ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया था। समिति की अनुशंसा के आधार पर सरकार ने एकीकृत पेंशन योजना को मंजूरी दे दी है।

पेंशन एरियर पर सरकार 800 करोड़ रुपये खर्च करेगी

सरकार के मुताबिक बकाया रकम (बकाया) पर 800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पहले साल में सालाना लागत करीब 6,250 करोड़ रुपये बढ़ जाएगी। यह योजना 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगीकेंद्र सरकार के कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) और यूपीएस के बीच चयन करने का विकल्प दिया जाएगा। मौजूदा केंद्र सरकार के एनपीएस ग्राहकों को यूपीएस पर स्विच करने का विकल्प भी दिया जाएगा।

राज्य सरकारों को भी एकीकृत पेंशन योजना चुनने का विकल्प मिलेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को मंजूरी दे दी, जिसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन प्रदान करना है। इस बीच, राज्य सरकारों को एकीकृत पेंशन योजना चुनने का भी विकल्प दिया जाएगा। यदि राज्य सरकारें यूपीएस चुनती हैं, तो लाभार्थियों की संख्या लगभग 90 लाख तक पहुंच जाएगी।



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